Wednesday, February 25, 2015

क्षितिज (Horizon)


(Clicked by me. Shillong, Meghalaya)

शायद वो धुँधली सी एक शाम थी 
ख़ामोश चाय के प्यालों से बादलों का गुज़र जाना 
और दूर क्षितिज में, तेरी यादों का बिखड़ जाना 

तन्हा हो कर भी, तन्हाई से महरूम थे 
था कुछ ऐसा रिश्ता उस ख़ामोशी का सुकून से 

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