Sunday, October 10, 2010

तेरे बगैर.. माँ

कई सिरहाने बदले है मैंने
पर वो सुकून कही मिला हीं
जो तेरे गोद में सर रख कर
सोने से मिलता था, माँ

देखते है, सुनते है
अंगिनत किस्से-कहानियाँ
उनपर मगर अब यक़ीन कम होता है
वो बचपन की तेरी एक राजा और
एक रानी की कहानी
अब भी सच्ची लगती है, माँ

डर जाता हूँ, मैं सहम जाता हूँ
जब भी बुरा सपना कोई
आँखों को ढूंढ़ लेता है
तू दौड़ के आएगी सहलाने मुझे
पल भर को ये उम्मीद रहता है, माँ

कई बार की है कोशिश लेकिन
चुटकियों से मात खा जाता हूँ
मीठे का मिठास, नमकीन का नमक
अंदाजों में घुल जाते है
जुबां पर अब भी ठहरा है मेरे
वो स्वाद तेरे हाथों का, माँ

दिल को बहलाने के बहाने कई है
मगर ऐसा कोई मिला नहीं
जो तेरी तरह तेरी कमी को मिटा सके
जैसे टूटे खिलौनों के रोने पर
तेरे एक छूने से
मेरी हँसी जुड़ जाती थी, माँ

ऐसा कभी सोचा ही नहीं था
तेरे बिना भी कोई ज़िन्दगी होगी
ये और बात है की
तेरे बगैर मैं अब
जी रहा हूँ, माँ


Wednesday, October 06, 2010

Diwali No More

Banana trees standing guard..
Lighted lamps glowing in the dark..
Smiles and laughter
Happiness and cheer

Under the moonless sky,
a family of five
gather for celebration

Those were the real Diwali...
It's just lights and crackers now...
nothing else!