Saturday, May 02, 2009

महसूस...

कई बार किया है महसूस हमने..
इस दिल का हर दर्द सह जाना..
कई ख़्वाबों का सिकुड़ जाना और..
खुशी का आते-आते रह जाना...

सोचना की शायद मुमकिन है सब कुछ
और बस सोचते ही रह जाना...
जिनके सहारे कभी चले थे मीलों
उन हाथों को खोजते ही रह जाना...

बरसों का सफर कुछ लम्हों में तय करना
कभी वक़्त का यूँ गुजर जाना
लगा था मिट चुका है जिसका निशाँ
उस चहरे का यूँ नज़र आना

था यकीन की भर गए है ज़ख्म मगर
उन यादों का दस्तक दे जाना...
टूटे ख़्वाबों के शाखों से खेलना और
तन्हाई में गिर के बह जाना

हाँ, किया है महसूस कई बार हमने
एक उम्र का पल में मर जाना
दूर रहना, साथ होना किसी का
ख़ुद ही को यूँ तन्हा कर जाना

6 comments:

  1. Commendable effort! Can visualise a lot of what must be going through the heart while this was written, but getting through the spelling errors is a little tough. Muah!

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  2. Good One Dude. some tiny miny errors like sikur is sikud, sakhon is shakhon but never mind its quite intense.

    Keep writing. looking forward to see more.

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  3. thank u all for ur comments.. have rectified the errors.. if there are any more do lemme know..

    thanks again..!!

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  4. Quite lovely...flowing...like the line- ek umr ka ek pal mein mar jaana..

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  5. Hey ranjan fab yaar, you in hindi my goshh.......very touching poem n i think most of us can empathise with it.keep it up dear.

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