(Barfi & Jhilmil: Illustration by me)
कई राहें चलकर देखी हमने मगर
सुकून कही मिला ही नहीं
ख़ुद को वही छोड़ आए है शायद
जिस राह में हम बिछड़े थे आपसे
सोचते है बहुत अब, कुछ कहने या करने
से पहले, वह बेफ़िक्र
मासूम सी आज़ादी भूल आए है शायद
जिस राह में हम बिछड़े थे आपसे
रिश्तों से मन भर सा गया हैं, दिल भी अब
ख़ामोश सा रहता हैं
एतबार-ए-दिल खो आए है शायद
जिस राह में हम बिछड़े थे आपसे
ah.... almost in tears :(
ReplyDeletei didn't know it was that good.. thanks.. :)
ReplyDeleteAbout the photo-
ReplyDeleteThe photo that you have sketched is simply adorable, as I just loved this shot...even clicked one like this long time back.
About the poem
Alfazon ka bahut umda istemal kia hai...
bas ek hi alfaas kahenge hum- 'BEHTAREEN'