Wednesday, July 27, 2011

सिरहाने मेरे

(Illustration by me)

सिरहाने मेरे कुछ ख़्वाब रहा करते हैं
मेरे सो जाने पर मुझसे मिला करते हैं
सुबह उन्हें, कभी भूल जाऊं मैं अगर
कई रातें मुझसे रूठा करते हैं


जानी-पहचानी गलियों से गुज़रना
छूते हुए हाथों को पकड़ना
न होना होश गिरने-संभलने का
बेफिक्र नन्हे क़दमों से यूं चलना


कई बेजान लम्हों का मिलना दोबारा
भरे हुए ज़ख्मों का छिलना दोबारा
थी चाह फिर जीने की पर मुमकिन नहीं
सूखे हुए फूलों का खिलना दोबारा


ज़िन्दगी की हलचल में तन्हाई भी शोर हें
ख़्वाबों के रास्ते ले चलते कही और हैं
माना की निगाहों में मंज़िलो का पता हें
पर किस्मत के आगे हर कोई कमज़ोर हें


सिरहाने मेरे कुछ ख़्वाब रहा करते हैं
मेरे सो जाने पर मुझसे मिला करते हैं
शायद ये ख़्वाब मेरे मुझसे कुछ कहते हैं
मेरे सिरहाने इसलिए वो रहते हैं


(thanks to all for their help)

4 comments:

  1. Nice work.... And like I said, "Your Hindi is exceptionally good." Look forward to reading more.

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  2. Like it :)
    Your poetry has made dreams a very live thing - a friend indeed.

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