Wednesday, March 25, 2015

एक शाम, एक लम्हा (An Evening... A Moment)

एक शाम रुकी सी है कही..
एक लम्हा ठहरा हुआ है कही..

कुछ एहसास, कुछ अलफ़ाज़,
कुछ नग़में, और वो आवाज़..

बेसब्र था वक़्त,
बेचैन था वक़्त,
जो आया तो, न जाने की
ज़िद पर था वक़्त..

जी तो आए मगर
वो लम्हा ठहर गया है वही..

वो शाम वही रहने दो.. 
वो लम्हा वही ठहरने दो.. 

कभी मायूस दिन के चलते,
उस शाम से रहत ले लेंगे..
कभी तन्हा रातों में,
उस लम्हे को ओढ़कर सो लेंगे..

Wednesday, February 25, 2015

क्षितिज (Horizon)


(Clicked by me. Shillong, Meghalaya)

शायद वो धुँधली सी एक शाम थी 
ख़ामोश चाय के प्यालों से बादलों का गुज़र जाना 
और दूर क्षितिज में, तेरी यादों का बिखड़ जाना 

तन्हा हो कर भी, तन्हाई से महरूम थे 
था कुछ ऐसा रिश्ता उस ख़ामोशी का सुकून से 

Monday, March 03, 2014

ख़ुदा हाफ़िज़ (Farewell To Thee)

है कौन और क्या मुक़म्मल दुनिया में ?
तुझसे पहले भी अधूरी थी ज़िन्दगी
तेरे बाद भी अधूरे है हम ।

(Self-portrait)

ग़म न कर, जो ये फ़साना
अधूरा ही छोड़े जा रहे हो तुम
अधूरे अफ़सानों से भरा पड़ा हैं
मेरी ज़िन्दगी का ख़ज़ाना
एक अधूरी दास्तान और सही!

(Image Courtesy: Brian Chan's One-Sheet Rose)

काग़ज़ों के बने ख़्वाब
किताबों में ही ख़ुश रहते हैं
काग़ज़ों के बने फूल
बा-उम्र ही ख़ुश्क रहते हैं
हज़ार कोशिशें की लिखने की
तुझे अपनी ज़िन्दगी में मगर
काग़ज़ों के बने कलम
स्याही से नाख़ुश रहते हैं

उम्र भर जो बोया था
इन आख़री दिनों में
उस फ़सल की कटाई कर रहे हैं
साथ रहकर भी जो
फ़ासलों में गुज़री थी
उन लम्हों में आज तन्हा मर रहे हैं
कह देते या कर जाते
जो कहा और किया नहीं हमने
शायद कुछ और ही सीला मिलता हमें
है उम्मीद यादों में
मिलना हो कभी, लेकिन आज
तेरी राहों से ख़ामोश गुज़र रहे हैं
 

Thursday, January 31, 2013

मिल न सके... Starcrossed...


मेरी क़िस्मेत में तेरा निशान तो है मगर
नजाने किन गलियों में खोए हुए से हो तुम
जो हम अब तक मिल न सके

हथेली पर कई बार नाम लिखा है तुम्हारा
नजाने किन लकीरों में उलझे हुए से हो तुम
जो हम अब तक मिल न सके

कहते है वक़्त से पहले किसी को कुछ नहीं मिलता
नजाने किन लम्हों में रुके हुए से हो तुम
जो हम अब तक मिल न सके

बा-उम्र इंतज़ार कर तो लेंगे हम मगर
जो ज़िन्दगी यूही तन्हा कत जाए अगर
पल भर के लिए हम मिलेंगे नहीं तुमसे 

Tuesday, January 08, 2013

Erstwhile Love...



 (Courtesy: wallpaperscraft)
Cold breeze scathes the heart
Memories bleed
No wound ever heals enough
Not to hurt again

Effortless
How like the wind your thoughts
Embrace me.
Lost in time and space

Your silence still speaks volumes
Your voice
Still echoes through my soul
You still dwell in me

No love is ever lost
Or ever forgotten
We carry it in our hearts
Till our last breath

Wednesday, November 14, 2012

Homesick



(Shillong: Clicked by me)

Bricks and blocks
Iron Gate
Wooden planks

Old cement smell
Damp walls
Moist windows

Worn out bed-sheets
Sunken pillows
Heavy dreams

Longing deep
For a home
Which only
Lives
In my memory