है कौन और क्या मुक़म्मल दुनिया में ?
तुझसे पहले भी अधूरी थी ज़िन्दगीतेरे बाद भी अधूरे है हम ।
(Self-portrait)
ग़म न कर, जो ये फ़साना
अधूरा ही छोड़े जा रहे हो तुम
अधूरे अफ़सानों से भरा पड़ा हैं
मेरी ज़िन्दगी का ख़ज़ाना
एक अधूरी दास्तान और सही!
(Image Courtesy: Brian Chan's One-Sheet Rose)
काग़ज़ों के बने ख़्वाब
किताबों में ही ख़ुश रहते हैं
काग़ज़ों के बने फूल
बा-उम्र ही ख़ुश्क रहते हैं
हज़ार कोशिशें की लिखने की
तुझे अपनी ज़िन्दगी में मगर
काग़ज़ों के बने कलम
स्याही से नाख़ुश रहते हैं
उम्र भर जो बोया था
इन आख़री दिनों में
उस फ़सल की कटाई कर रहे हैं
साथ रहकर भी जो
फ़ासलों में गुज़री थी
उन लम्हों में आज तन्हा मर रहे हैं
कह देते या कर जाते
जो कहा और किया नहीं हमने
शायद कुछ और ही सीला मिलता हमें
है उम्मीद यादों में
मिलना हो कभी, लेकिन आज
तेरी राहों से ख़ामोश गुज़र रहे हैं
(Edited Image of Kim Nicolini’s Dirt Yards at Night)